कर्म का नियम क्या है। law Of Karma By Krishna In Hindi


नमश्कार दोस्तों आपने कभी कभी तो गीता पढ़ी ही होगी। लेकिन यदि आपने गीता नहीं पढ़ी तो में आपसे आग्रह करना चाहता हु की अपने जीवन में एक बार गीता जरूर पढ़े क्योकि मनुष्य के जीवन में आने वाली हर समस्या का हल आपको श्री मद भगवत गीता में ही मिलेगा।

आज हम आपको श्री मद भगवत गीता (Shree Mad Bhagwaat Geeta In Hindi) मे ही बताये गए एक सिद्धांत के बारे में बताएँगे। जिसका नाम है Law Of Karma इसमें हम जानेगे की ये नियम क्या कहता है


कर्म का नियम क्या है | What Is Law Of Karma In Hindi



Law Of Karma In Hindi - दोस्तों इस नियम का सबसे आसान और सीधा अर्थ ये है की आप जैसा करते हो वैसा ही आपको मिलेगा। इसको हम कुछ उदहारण के माध्य्म से भी समझ सकते है। आईये जानते कुछ उदाहरण से कर्म के नियम को।



1: उदाहरण एक बार दो दोस्तों थे और वो विद्यालय में पढ़ने जा या करते थे। उन दोनों दोस्तों मे परीक्षा मे अच्छे अंक लाने के लिए हमेशा होड़ रहती थी।

हर बार की तरह ही इस बार भी दोनों परीक्षा में अच्छे अंक लाना चाहते थे। लेकिन जब परीक्षा का परिणाम आया तो एक विद्यार्थी के तो बहुत अच्छे अंक आये लेकिन दूसरे विद्यार्थी के उससे कम अंक आये।




अब यहाँ ऐसा इसलिए हुआ क्योकि एक विद्यार्थी अपने कर्म पर निर्भर होकर अपने पुरे विषय की तैयारी करता था वो ये जानता था की में जितना ज्यादा पढ़ाई करूँगा उतने ही मेरे अच्छे अंक आएंगे।

लेकिन दूसरा दोस्त कभी ये नहीं सोचता था वो बस कुछ देर पढ़ता था और फिर भगवान के भरोसे बैठ जाता था की जो भगवन करेंगे वो ही होगा।



यही कारण था की एक दोस्तों के तो अच्छे अंक गए और दूसरे के उससे कम अंक आये।

दोस्तों में आपको एक बात बताना चाहता हु की जब तक आप अपने कर्म के नियम का पालन नहीं करोगे तब तक भगवन भी आपका साथ नहीं देंगे।


2: उदाहरण - जब आपको भूख लगती है तो आप खाना खाते हो फिर उसके बाद आपकी भूख मिट जाती है।

जब आपको भूख लगती है तो आपको उसके लिए एक कर्म करना होता है तब जाकर ही आपकी भूख शांत होती है वो कर्म है भोजन का सेवन करना। जैसे ही आप अपने इस कर्म को पूरा करते हो तो आपको भूख शांत हो जाती है।

अब यहाँ आपने अपनी भूख को मिटाने के लिए भोजन का सेवन करने का कर्म किया तो आपको उसके परिणाम स्वरूप में भूख से मुक्ति मिली।






कर्म का नियम हमें यही समझाता है की जैसा हम कर्म करते है वैसा ही हमें परिणाम प्राप्त होता है।

3: उदाहरण - यदि आप किसी की हत्या करते हो जो आपको जेल हो सकती है या फिर फांसी हो सकती है।

4: उदाहरण - यदि आप किसी राह चाहते व्यक्ति की सहायता करते हो तो आपको ये तो वो कुछ उपहार दे सकता है या फिर आपको आपने आशीर्वाद दे सकता है।

दोस्तों हम ने यहाँ 4 उदाहरण देखे जिसमे हम ने देखा की जिस व्यक्ति जैसा - जैसा कर्म किया था वैसा ही उन सब को परिणाम भी प्राप्त हुआ।

अब आप ये तो जान ही गए होंगे की हम जो कर्म करते है उसके ही अनुसार हमें परिणाम प्राप्त होते है। यही आप कुछ गलत करते हो तो आपको परिणाम भी गलत ही प्राप्त होते है और यदि आप कुछ अच्छा करते है तो परिणाम भी अच्छा ही होगा।

दोस्तों अब हम बात करते है की आखिर वो क्या परिस्थिति थी जिसके कारण इस नियम का निर्माण हुआ।

कर्म का नियम का निर्माण कैसे हुआ और कब हुआ।


दोस्तों इस नियम का वर्णन पहली बार 5000 साल पहले महाभारत में श्री कृष्ण ने किया था। श्री कृष्ण ने ही ये बताया था की मनुष्य जो भी कर्म करता है उस ही के अनुसार उसको फल मिलता है और इस ही नियम को हम Law Of Karma कहते है।



लेकिन अब बात करते है की वो क्या परिस्तिथि थी जब श्री कृष्ण ने कहा था। चलिए जानते है

जब युद्ध के समय सभी लोग पांडवो से युद्ध करने के लिए कुरुक्षेत्र मे गए थे तो युद्ध में अर्जुन ने अपने लोगो को सामने देख कर युद्ध करने से मना कर दिया वो श्री कृष्ण से कहने लगा की हे वासुदेव इस युद्ध को करने से मुझे क्या लाभ होगा।



यदि में इस युद्ध को जीत गया तो भी में हार जाऊंगा और यदि में इस युद्ध को हार गया तो भी में हार जाऊंगा और यदि में दोनों तरफ से ही हार - हार तो में ये युद्ध ही क्यों करूँ।




इसके बाद श्री कृष्ण ने अर्जुन को समझाते हुए कहा की हे पार्थ - ये युद्ध उन सभी गलतियो का परिणाम है जो दुर्योधन ने तुम्हारे साथ अधर्म किया है। मनुष्य जैसा करता है वैसा ही उसे भोगना पड़ता है।

और यही युद्ध आज तुम्हारे सामने कर्म बन कर तुम्हारे सामने खड़ा है। ये युद्ध तुम्हारे लिए आज के द्वारा किये जाने कर्म है और तुम इससे भाग नहीं सकते। यदि आज तुम इस युद्ध को नहीं लड़ते हो तो भविष्य में इसका परिणाम बहुत ही भयंकर होगा। आज ये युद्ध तुम्हारे साथ साथ समस्त भारत वंश के लिए भी बहुत जरुरी है। यदि आज तुम इस युद्ध को लड़ते हो तो समस्त भारत में धर्म की भी स्थापना होगी।




मनुष्य जो करता है वो ही उसको भोगना पड़ता है इसलिए हे पार्थ तुम इस युद्ध को करो नहीं तो समस्त मानव जाति को तुम्हारे कारण दुष्कर्म भोगना होगा।

निष्कर्ष - जीवन में आपको जो भी करना हो वो आप कर सकते है लेकिन आपको ये कभी नहीं भूलना चाहिए की जो आज आप कर रहे है वो ही आपके भविष्य का निर्माण करते है। यदि आप आज अच्छा करते हो तो भविष्य भी आपको अच्छा होगा यदि आप कुछ गलत करते हो तो आपके साथ भविष्य मे भी गलत ही होगा।

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